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प्यार एक सजा

नीलम की मां नीलम को फोन चलाते हुए ठोक देती है, कि क्या तुम सारा दिन फोन में ही लगी रहती हो। और तुम्हारी वह दोस्त कौन है जिससे सारा दिन बात करती हो।
नीलम कहती है की मां मेरी तो सिर्फ वही एक फ्रेंड है। वह ही मुझे कॉल करती है, अगर वही मुझे नहीं भुलती है तो मैं कैसे उसका फोन ना उठाऊं।

नीलम की आंखों में एक नमी सी दिखाई देती है। तो उसकी मां को यह लगता है कि शायद नीलम को ऐसे टोकना पसंद नहीं आया। नीलम की मां उससे पूछती है कि चलो बताओ कि, तुम्हारी दोस्त कहां रहती है और किसके साथ रहती हैं।

नीलम अपनी मां को सिर्फ इतना कहती है कि उसका सिर्फ एक ही आसरा है। और नीलम वहां से बिना पूरी बात कहे ही चली जाती है।

माँ की चिंता

नीलम ने अपनी मां को पूरी बात ही नहीं बताई थी इसलिए उसकी मां को चिंता हो रही थी। उसकी मां यह सोच रही थी कि कहीं नीलम किसी गलत रास्ते पर तो नहीं चल रही है। नीलम से वह बात जानना बहुत जरूरी था कि वह किससे बात कर रही थी, कौन है उसका वह फ्रेंड।
नीलम ने अपनी मां को सच नहीं बताया था उसकी मां को तो यही लग रहा था कि वह किसी लड़की से बात कर रही है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं था। नीलम अपने स्कूल के किसी लड़के से बात करती थी।

उसकी मां को नीलम की चिंता खाए जा रही थी। और नीलम की मां नीलम पर पूरी निगरानी रखती थी।
उसकी मां को तो अंदाजा भी नहीं था कि जिस लड़के से नीलम बात करती है, वह उनके पड़ोस में ही रहता है। एक दिन नीलम की नानी का फोन आता है, और नीलम की मां उनसे बात करने लग जाती है बात बहुत लंबी चलती है।

उस दौरान नीलम फोन के लिए झटपठा रही होती है, और अपनी मां से बार-बार कहती है कि उसे पढ़ाई करने के लिए फोन चाहिए उसके टीचर ने उसे कोई प्रोजेक्ट दिया है।

नीलम के झूठ

नीलम हर रोज अपनी मां से कोई ना कोई नया झूठ बोलती और उस लड़के से बातें करती रहती। उस कारण नीलम की पढ़ाई भी बिल्कुल अच्छी नहीं हो रही थी। स्कूल के टीचर्स नीलम की मां को फोन करके नीलम की शिकायत कर रहे थे।
नीलम की मां को चिंता भी थी और बहुत गुस्सा भी था कि नीलम ऐसा क्यों कर रही है। अब नीलम की मां का यह जानना बहुत जरूरी हो गया था। नीलम घर के कहीं किसी न किसी कोने में छत पर कहीं भी उसे मौका मिलता वह उस लड़के से बात करती।

1 दिन वह लड़का नीलम को मिलने के लिए बोलता है। अब नीलम यह सोचती है कि, वह अपनी मां से क्या कह कर बाहर जाएगी। क्योंकि यह तो नीलम को भी पता था कि उसकी मां उसके ऊपर पूरी नजर रख रही है।

अब नीलम के लिए यह एक चुनौती थी कि उसे उस लड़के से मिलना तो है। नीलम की मां किचन में काम कर रही होती है और नीलम धीरे से जाकर पीछे से अपनी मां के गले लगकर उन्हें बाहर जाने के लिए पूछती है।
नीलम की मा तो सब समझ रही होती है और वह उसे मना नहीं करती है।

अब नीलम बाहर जाने के लिए निकल जाती है। लेकिन उसकी मां उसके पीछे-पीछे जाती है और उसका पीछा करती है, कि आखिर वह लड़का है कौन। वह लड़का नीलम को उनके कॉलोनी के पार्क में ही मिलने को बुलाता है। और जब नीलम की मां यह ददेखती है, कि वह लड़का तो उनके पड़ोस का ही है।

उस लड़के के माता-पिता को भी नीलम की मां बहुत अच्छे से जानती थी। अब नीलम की मां नीलम और उसे लड़के के पास ही चली जाती है। और नीलम को उसे समय तो कुछ नहीं रहती है और उसे अपने साथ घर ले आती हैं।

वह उस लड़के को डांटती है, और उसे अपने घर जाने को कहती है। नीलम की मां को बहुत गुस्सा आ रहा होता है, और घर जाकर नीलम को भी बहुत डाटती है।
अब नीलम की मां उस लड़के के माता-पिता से बात करने, उसके घर पहुंच जाती है। लड़का भी बहुत डरा हुआ होता है, कि अगर उन्होंने उसके माता-पिता को बता दिया तो वह भी उसे बहुत डाटेंगे।

नीलम उस लड़के के माता-पिता को कहती है कि आप अपने बच्चे पर ध्यान दें, और इसे कहे कि यह मेरी बेटी से बात ना करें। नीलम की मां के सामने ही उस लड़के के माता-पिता उसे बहुत सुनाते हैं। और वह लड़का डर के कह देता है कि वह अब नीलम से कभी बात नहीं करेगा।

नीलम की मां भी वापस घर जाकर नीलम को यही कहती है कि अब उस लड़के से कभी बात मत करना। नीलम अपनी मां की बात मान जाती है। और नीलम को बुरा लगता है कि वह अपनी मां से कितना झूठ बोल रही थी।
नीलम अपनी मां को गले लगा कर सॉरी बोलती है, और कहती है कि वह अब ऐसा वापस कभी नहीं करेगी।


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